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चीज क्या है
कुछ कुलबुला रहा था
बुरी तरह
खोज की
इधर उधर
हर तरफ से
छान कर
खींछ कर
लाया उसे
सामने अपने किया
फिर उठाकर हाथ में
देखने उसको लगा।
चीज क्या है?
देख तो
कहीं मैं यही तो नहीं।
जुलाई, २०००
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छप्पर का छेद
छप्पर के एक छेद से
आती अस्ताचल सूरज की
गोल मटोल सी एक किरण
एक प्रकाश का ठप्पा
सारी दुनिया जैसे उसमें समायी है
देखो वो बादल जा रहे हैं
पीछे चिडिया जा रही हैं
आंख मिचौनी का खेल चल रहा है
अभी बादल था अभी गायब हो गया
कुछ देर के लिए
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ज्ञान की देवी
अज्ञानता, तुम महान हो, अजेय हो।
अज्ञानता, तुम ज्ञान की देवी हो।
दुनिया का हरेक वह कण
जिसमें जान है
तुम्हारी ही कृपा से
तुम्हें संज्ञा दी ज्ञान की
और तुम्हे बना डाला
तुम्हारा ही दुश्मन