ज्ञान की देवी

अज्ञानता, तुम महान हो, अजेय हो।
अज्ञानता, तुम ज्ञान की देवी हो।
दुनिया का हरेक वह कण
जिसमें जान है
तुम्हारी ही कृपा से
तुम्हें संज्ञा दी ज्ञान की
और तुम्हे बना डाला
तुम्हारा ही दुश्मन


और ज्ञान के सिपाही बन
चले तुम्हें फतह करने
और तुम बैठी हंस रही हो
अपने फैलाए जाल में फंसे
शिकार को देखकर
छ्टपटाते, मरते।
अनन्तकाल तक चलता आ रहा
तुम्हारा यह खेल
अनन्तकाल तक चलता चला जाएगा।
कितने आए, गए
आएंगे जाएंगे
सभी की अभिलाषा
तुम्हें जीतने की
सभी पराजित हुए
पर तुम हमेशा रहीं
अपराजित।

हे विश्वराज्ञी , विश्व की एक्मात्र मलिका
अज्ञानता, तुम्हें मेरा शत-शत नमन।

जून, २०००