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1. हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या है ?
तुम्हीं कहो के ये अंदाज़-ए-गुफ्तगू क्या है ?
[ गुफ्तगू = conversation]
2. ना शोले में ये करिश्मा ना बर्क़ में ये अदा
कोई बताओ कि वो शोखः-ए-तुंद-ख़ू क्या है ?
[ बर्क़ = lightening; तुंद = sharp/angry; ख़ू = behaviour]
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1. ग़ैर लें महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूं तिस्ना-लब पैग़ाम के
[ बोसा = kiss, तिस्ना = thirsty ]
2. ख़स्तगी का तुमसे क्या शिकवा की ये
हथकण्डे हैं चर्ख़-ए-नीली-फाम के
[ ख़स्तगी = injury; शिकवा = comlaint; हथकण्डे = tactics; चर्ख़ = sky; नीली-फाम = blue colour/complexion]
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1. न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ ना होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, ना होता मैं तो क्या होता ?
2. हुआ जब ग़म से यूं बेहिस तो ग़म क्या सर के कटने का
ना होता गर जुड़ा तन से तो ज़ानूं पर धड़ा होता
[ बेहिस = shocked/stunned; ज़ानूं = knee ]
3. हुई मुद्दत के 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है
वो हर इक बात पे कहना, के यूं होता तो क्या होता ?
[ मुद्दत = duration/period]